Journalism - Lead writing and Feature writing
Hello Reader,
Here I share some interesting view about journalism. Most of we don’t know what is process and which kind of writing use for journalism. So here I want introduced two writing of journalism first is lead writing second is Feature writing.
In journalism, the beginning sentences of a news story are everything. Called leads or “ledes,” they must convey essential information, set the tone and entice people to continue reading.
Feature and Journalism is creative journalism. It escapes the hard-news format allowing the creative writers among us to write feature articles in an inventive and compelling way. Unlike short and to-the-point news articles, feature articles deal with a subject in greater depth and, usually, at greater length.
Here I am dealing with Features writing journalism.
Feature writing-
इंसाफ हुआ या कोई हिंदी पिक्चर का अंत!
कभी-कभी सच इतना धुंधला बन जाता है कि हमें कुछ नहीं दिखता लगता है सभी जगह अंधेरा है। वैसे तो बहुत इंसाफ के नारे लगते हैं लेकिन कभी-कभी न्याय की गुंजाइश हीं नही रहती। ऐसा ही कुछ लगता है प्रियंका के केस में क्या सच है क्या झूठ और क्या न्याय और क्या इंसाफ । पूरे देश में चर्चित होने वाली प्रियंका रेड्डी की दर्दनाक दहशत घटना । 30 नवंबर 2019
के दिन हैदराबाद टू-व्हीलर का टायर पंक्चर होने के बाद एक टोल प्लाजा के पास इंतजार कर रही 26 वर्षीय वेटनरी डॉक्टर प्रियंका रेड्डी का गैंगरेप और उसी रात हत्या कर दी गई।
चार शख्स पकड़े गये उन चारों का फिल्मी रूप एनकाउंटर हो गया। यह आरोपी को पक्ष रखने की कोई गुंजाइश नहीं थी। वैसे तो यह इंसाफ किसी पिक्चर के इंसाफ जैसा लगता है पर हमारा देश का न्याय शायद ऐसा नहीं है क्योंकि जब हम कइ आंतकवादी और जो केवल आरोपी माने जाते है और गुना साबित होने पर उसको सजा सुनाई जाती है। जबकि यह ऐसा नहीं हुआ। उन चारों का एनकाउंटर हुआ उसे हम यह नहीं कह सकते कि आगे चल कर ऐसा किसी भी लड़की के साथ नहीं होगा। क्योंकि फिल्मों से कुछ बातें लोग सीख तो लेते हैं किंतु जब सोचने की बात आती है तब कुछ भी हम फिल्मों से नहीं सीखते जैसा कि आर्टिकल 15 पिक्चर मैं बताया गया कौन गुनहगार कौन आरोपी किस की साज़िश और फसता है कोई यह तो फिल्म है जिसमें पोलिस सही गुनेहगार तक पहुंच जाती है। पर यह प्रियंका के केस न जाने न्याय हुआ है या कोई समझौता ये तो कोई नहीं बता सकता ।
प्लेटो भी कहता है
Reference
https://www.getsmarter.com/blog/career-advice/feature-writing-faqs/
https://online.pointpark.edu/public-relations-and-advertising/how-to-write-a-lead/
Here I share some interesting view about journalism. Most of we don’t know what is process and which kind of writing use for journalism. So here I want introduced two writing of journalism first is lead writing second is Feature writing.
In journalism, the beginning sentences of a news story are everything. Called leads or “ledes,” they must convey essential information, set the tone and entice people to continue reading.
Feature and Journalism is creative journalism. It escapes the hard-news format allowing the creative writers among us to write feature articles in an inventive and compelling way. Unlike short and to-the-point news articles, feature articles deal with a subject in greater depth and, usually, at greater length.
Here I am dealing with Features writing journalism.
Feature writing-
इंसाफ हुआ या कोई हिंदी पिक्चर का अंत!
कभी-कभी सच इतना धुंधला बन जाता है कि हमें कुछ नहीं दिखता लगता है सभी जगह अंधेरा है। वैसे तो बहुत इंसाफ के नारे लगते हैं लेकिन कभी-कभी न्याय की गुंजाइश हीं नही रहती। ऐसा ही कुछ लगता है प्रियंका के केस में क्या सच है क्या झूठ और क्या न्याय और क्या इंसाफ । पूरे देश में चर्चित होने वाली प्रियंका रेड्डी की दर्दनाक दहशत घटना । 30 नवंबर 2019
के दिन हैदराबाद टू-व्हीलर का टायर पंक्चर होने के बाद एक टोल प्लाजा के पास इंतजार कर रही 26 वर्षीय वेटनरी डॉक्टर प्रियंका रेड्डी का गैंगरेप और उसी रात हत्या कर दी गई।
चार शख्स पकड़े गये उन चारों का फिल्मी रूप एनकाउंटर हो गया। यह आरोपी को पक्ष रखने की कोई गुंजाइश नहीं थी। वैसे तो यह इंसाफ किसी पिक्चर के इंसाफ जैसा लगता है पर हमारा देश का न्याय शायद ऐसा नहीं है क्योंकि जब हम कइ आंतकवादी और जो केवल आरोपी माने जाते है और गुना साबित होने पर उसको सजा सुनाई जाती है। जबकि यह ऐसा नहीं हुआ। उन चारों का एनकाउंटर हुआ उसे हम यह नहीं कह सकते कि आगे चल कर ऐसा किसी भी लड़की के साथ नहीं होगा। क्योंकि फिल्मों से कुछ बातें लोग सीख तो लेते हैं किंतु जब सोचने की बात आती है तब कुछ भी हम फिल्मों से नहीं सीखते जैसा कि आर्टिकल 15 पिक्चर मैं बताया गया कौन गुनहगार कौन आरोपी किस की साज़िश और फसता है कोई यह तो फिल्म है जिसमें पोलिस सही गुनेहगार तक पहुंच जाती है। पर यह प्रियंका के केस न जाने न्याय हुआ है या कोई समझौता ये तो कोई नहीं बता सकता ।
प्लेटो भी कहता है
Reference
https://www.getsmarter.com/blog/career-advice/feature-writing-faqs/
https://online.pointpark.edu/public-relations-and-advertising/how-to-write-a-lead/
Well written dear
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