Poem -Zindagi

Poem -Zindagi



जीदगी एक कोरा कागज
इस कागज मे खुशीया का दामन भरलु
खफा बहुत थी खुशीया हमसे
पर स‌पनो से उसे हासील करलु ।

न जाने कोनसा मोड लाये ये जीदगी
कभी खुशीया तो कभी खामोशी,
जेसे अलफासो से टकरा सी ग‌इ
युही हमे सताती रही जीदगी ।

ऐसे कोरे कागज पर कया लिखे,
जीसकी कलम हमारे पास ना हो
सा कोरा कागज जीदगी का
कभी कीस्मत की कलम ने मोड दीया
ऐसे ही मोड़ पर हमें छोड दीया ।
                   
                           - दीप्ती गोहील

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